Tuesday, February 17, 2015

"जिनके होठों पे हँसी "--गुलाम अली साहब

जिनके होठों पे हँसी पाँव में छाले होंगे
हाँ वही लोग तेरे चाहने वाले होंगे

मय बरसती है फिज़ाओ में नशा तारी है
अब तो आलम में उजाले ही उजाले होंगे

हम बड़े नाज़ से आये थे तेरी महफ़िल में
क्या खबर थी लैब-ए -इज़हार पे ताले होंगे






"इतना रूखसत " --हसरत

तू इतना रूखसत हो गया है मेरी ज़िन्दगी से
लगता है जैसे खो गया हूँ मैं अब खुद-ही से

हर किसी से इतना रुसवा हो गया हूँ
लगता है जैसे कायनात थी बस तुझी से

तेरा आशिक़ मारा-मारा फिरता हूँ
सोचता हूँ क्या मिला तेरी बंदगी से

खो रहा हूँ धीरे-धीरे खामोशियो में
पाया वही जो मिल गया इस ज़िन्दगी से