कसूर ना कोई फिर भी क्यू वो मुझसे जुड़ा है
उसकी बेवफ़ाई पर भी दिल क्यू इतना फिदा है
हम तो हर हुसनवले से ज़िंदगी भर बचते रहे
जिस घड़ी वो नज़र आया, उस वक़्त की ही ये ख्ता है
रह गये तन्हा फिर से राह मे चलते चलते
जैसे ये मेरी मज़िल की मुझसे दिल्लगी करने की अदा है
देखा था जाते हुए मुड के एक बार उन्होने
पर अब वो मुस्कुराहट जाने किसके मर्ज की दवा है
वक़्त गुजर गया उनके साथ बिताए लम्हो की याद मे
कुछ लम्हो का साथ मिल पाता, पर खुदा की इसमें नही रज़ा है
उसकी बेवफ़ाई पर भी दिल क्यू इतना फिदा है
हम तो हर हुसनवले से ज़िंदगी भर बचते रहे
जिस घड़ी वो नज़र आया, उस वक़्त की ही ये ख्ता है
रह गये तन्हा फिर से राह मे चलते चलते
जैसे ये मेरी मज़िल की मुझसे दिल्लगी करने की अदा है
देखा था जाते हुए मुड के एक बार उन्होने
पर अब वो मुस्कुराहट जाने किसके मर्ज की दवा है
वक़्त गुजर गया उनके साथ बिताए लम्हो की याद मे
कुछ लम्हो का साथ मिल पाता, पर खुदा की इसमें नही रज़ा है
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