Sunday, January 25, 2015

"मैं नज़र से पी रहा हूँ" -- गुलाम अली साहब ग़ज़ल

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समां बदल न जाए
ना उठा नकाब साकी कही रात ढल न जाये

मेरी ज़िन्दगी के मालिक मेरे दिल पे हाथ रखना
तेरे आने की ख़ुशी में मेरा दम निकल न जाये

मेरे अश्क़ भी हैं इसमें ये शराब उबल ना जाये
मेरा जाम छूने वाले तेरा जल ना जाये

मुझे फूकने से पहले मेरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत कही साथ जल ना जाये

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